देशव्यापी भारत बंद का समर्थन में अनुसूचित जाति/ जनजाति संयुक्त मोर्चा पत्थलगांव ने निकाली रैली, एसडीएम को सौपा ज्ञापन
बंद का पत्थलगांव में नही दिखा ज्यादा कोई असर, सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल की चाकचौबंद व्यवस्था
देशव्यापी भारत बंद का पत्थलगांव में ज्यादा कोई असर नहीं दिखाई दिया, बाजार में अधिकांश दुकानें खुली रही, बहुत कम ही इनके समर्थन में अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। अनुसूचित जाति/ जनजाति संयुक्त मोर्चा पत्थलगांव के तत्वावधान में आज भारत बंद का आह्वान किया गया था। मार्केट बंद कराने के दौरान व्यव्सायी से थोड़ी बहुत बहस देखने को मिली। यहां सेंट जेवियर से शांतिपूर्ण ढंग से रैली निकाल स्थानीय रेस्ट हाउस में पत्थलगांव एसडीएम आकांक्षा त्रिपाठी को ज्ञापन देकर रैली का समापन किया गया।
संयुक्त मोर्चा ने माननीय राष्ट्रपति महोदया भारत सरकार, माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार, माननीय कानून मंत्री भारत. सरकार,माननीय चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली, माननीय अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग,माननीय अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, एवम माननीय राज्यपाल महोदय छत्तीसगढ़ के नाम सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति एवम् अनुसूचित जनजाति वर्ग के कोटे के अंदर कोटा व कोटे के कोटे के अंदर क्रीमी लेयर लागू करने के फैसले को पलटने संविधान संशोधन लाने भारत बंद के संबध में एसडीएम को ज्ञापन सौपा है।
इस दौरान सुरक्षा की दृष्टि से उपपुलिस अधीक्षक अनिल सोनी, एसडीओपी धुरवेश जायसवाल, थानाप्रभारी विनीत पांडेय के साथ उनकी पुलिस बल की चाकचौबंद व्यवस्था थी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से एससी-एसटी आरक्षण में क्रिमीलेयर और उपवर्गीकरण करने के फैसले के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ मोर्चा ने आज भारत बंद बुलाया है। क्रीमीलेयर के आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कई दलित और आदिवासी संगठनों ने ये बंद बुलाया था। जिसको लेकर आज उनके सभी संगठनों के कार्यकर्ता और पदाधिकारी ने मिलकर बंद का समर्थन दिया है। भारत बंद का आह्वान करने वाले संगठनो का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट कोटा वाले फैसले को वापस ले या फिर उसपर पुनर्विचार करे।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर भारत बंद का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर एक फैसला सुनाया था। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं, कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। अपनी बात को समझाने के लिए कोर्ट ने उदाहरण देते हुए बताया कि सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले है, फिर भी इन दोनों की जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक भी पिछड़े हैं। उन्होंने राज्यों को एससी और एसटी समूहों के भीतर उप-श्रेणियां बनाने की अनुमति दी, जिसमें कहा गया, "जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है, उन्हें आरक्षण में प्राथमिकता मिलनी चाहिए।" ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है। हालांकि कोर्ट ने ये कहते हुए एक हिदायत भी दी और कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं हैं, इसमें भी कुछ शर्तें भी लागू होंगी। इस फैसले ने व्यापक बहस छेड़ दी है और भारत बंद का आह्वान किया है।