युक्तियुक्तकरण से न तो स्कूल बंद होंगे और न ही पद समाप्त होंगे, 4 हजार स्कूल बंद होने की बात पूरी तरह भ्रामक

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युक्तियुक्तकरण से न तो स्कूल बंद होंगे और न ही पद समाप्त होंगे, 4 हजार स्कूल बंद होने की बात पूरी तरह भ्रामक

युक्तियुक्तकरण से न तो स्कूल बंद होंगे और न ही पद समाप्त होंगे, 4 हजार स्कूल बंद होने की बात पूरी तरह भ्रामक

शिक्षा के अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशानिर्देशों के अनुरूप होगा युक्तियुक्तकरण

शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाने युक्तियुक्तकरण जरूरी



रायपुर। छत्तीसगढ़ में विद्यालयों के युक्तियुक्तकरण को लेकर कुछ शैक्षिक संगठनों प्रश्नों और भ्रांतियां का शिक्षा विभाग ने ठोस तथ्यों के साथ अपनी स्थिति स्पष्ट की है। विभाग ने बताया है कि न तो किसी स्कूल को बंद किया जा रहा है, न ही शिक्षकों के पद समाप्त किए जा रहे हैं। युक्तियुक्तकरण की यह प्रक्रिया पूरी तरह शिक्षा के अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशानिर्देशों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य स्कूलों में शिक्षकों की न्यायसंगत ढंग से उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

शिक्षा विभाग ने विषय के बजाय कालखंड आधारित गणना से 5000 व्याख्याता अतिशेष होने के दावे को भ्रामक बताया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में विषय के आधार पर ही पद स्वीकृत हैं। यदि किसी विद्यालय में किसी विषय का एक ही व्याख्याता कार्यरत हैं, तो उन्हें किसी भी स्थिति में ‘अतिशेष’ नहीं माना जा रहा है। केवल उन्हीं स्कूलों की समीक्षा की जा रही है, जहां एक ही विषय में एक से अधिक व्याख्याता कार्यरत हैं या जिन विषयों में छात्र हैं ही नहीं, जैसे कि किसी विद्यालय में कॉमर्स के विद्यार्थी नहीं होने पर वहां के कॉमर्स व्याख्याता को दूसरे विद्यालय में पदस्थ किया जाएगा।

शिक्षा विभाग ने कहा है कि कुछ संगठनों द्वारा राज्य में युक्तियुक्तकरण से 4000 विद्यालय बंद होने की बात पूरी तरह से बेबुनियाद है। विभाग ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार क्लस्टर विद्यालयों की अवधारणा के तहत केवल एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और हायर सेकेंडरी स्कूलों का प्रशासनिक समायोजन किया जा रहा है। इससे कोई विद्यालय बंद नहीं होगा, और न ही किसी प्रधान पाठक का पद समाप्त किया जाएगा। इसका उद्देश्य केवल संसाधनों और प्रशासनिक संरचना को बेहतर बनाना है।

राज्य में 43849 शिक्षक पद समाप्त होने के दावें को भी शिक्षा विभाग ने तथ्यहीन बताया है। शिक्षा विभाग ने इस दावे को पूरी तरह गलत बताते हुए कहा है कि वास्तविकता यह है कि गणना के अनुसार केवल 5370 शिक्षक (3608 प्राथमिक स्तर के सहायक शिक्षक और 1762 पूर्व माध्यमिक शिक्षक) ही दर्ज संख्या के अनुपात में अतिशेष पाए गए हैं। ये शिक्षक केवल अन्य विद्यालयों में स्थानांतरित किए जाएंगे। किसी भी पद को समाप्त नहीं किया जा रहा है, बल्कि सभी स्वीकृत पद भविष्य में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने की स्थिति में जीवित रखे जाएंगे।

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि युक्तियुक्तकरण केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसका मूल उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना, जरूरत वाली शालाओं में शिक्षक उपलब्ध कराना  और शिक्षा प्रणाली को अधिक न्यायसंगत बनाना है। शिक्षा विभाग की यह पहल राज्य में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और छात्रों को समुचित शैक्षणिक संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में एक ठोस और दूरदर्शी कदम है।

शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाने युक्तियुक्तकरण जरूरी

छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की व्यवस्था को बेहतर और ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह है कि जहां जरूरत है वहां शिक्षक उपलब्ध हों और बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतर शैक्षणिक वातावरण और बेहतर सुविधाएं मिल सकें। युक्तियुक्तकरण का मतलब है स्कूलों और शिक्षकों की व्यवस्था को इस तरह से सुधारना कि सभी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित हो और कोई भी स्कूल बिना शिक्षक के न रहे।

वास्तविक स्थिति क्या है?

राज्य की 30,700 प्राथमिक शालाओं में औसतन 21.84 बच्चे प्रति शिक्षक हैं और 13,149 पूर्व माध्यमिक शालाओं में 26.2 बच्चे प्रति शिक्षक हैं, जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर है। हालांकि 212 प्राथमिक स्कूल अभी भी शिक्षक विहीन हैं और 6,872 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है। पूर्व माध्यमिक स्तर पर 48 स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं और 255 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है। 362 स्कूल ऐसे भी हैं जहां शिक्षक तो हैं, लेकिन एक भी छात्र नहीं है।

इसी तरह शहरी क्षेत्र में 527 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 10 या उससे कम है। 1,106 स्कूलों में यह अनुपात 11 से 20 के बीच है। 837 स्कूलों में यह अनुपात 21 से 30 के बीच है। लेकिन 245 स्कूलों में यह अनुपात 40 या उससे भी ज्यादा है, यानी छात्रों की दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षक कम हैं।

युक्तियुक्तकरण के क्या होंगे फायदे?

जिन स्कूलों में ज्यादा शिक्षक हैं लेकिन छात्र नहीं, वहां से शिक्षकों को निकालकर उन स्कूलों में भेजा जाएगा जहां शिक्षक नहीं हैं। इससे शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों की समस्या दूर होगी। स्कूल संचालन का खर्च भी कम होगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। एक ही परिसर में ज्यादा कक्षाएं और सुविधाएं मिलने से बच्चों को बार-बार एडमिशन लेने की जरूरत नहीं होगी। यानी एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल संचालित होंगे तो प्राथमिक कक्षाएं पास करने के बाद विद्यार्थियों को आगे की कक्षाओं में एडमिशन कराने की प्रक्रिया से छुटकारा मिल जाएगा। इससे बच्चों को पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी। बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर (ड्रॉपआउट रेट) भी घटेगी। अच्छी बिल्डिंग, लैब, लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही जगह देना आसान होगा।  

शिक्षा विभाग ने कतिपय शैक्षिक संगठनों द्वारा युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पर उठाए गए भ्रामक सवालों के संबंध में स्पष्ट किया है कि युक्तियुक्तकरण का मकसद किसी स्कूल को बंद करना नहीं है बल्कि उसे बेहतर बनाना है। यह निर्णय बच्चों के हित में, और शिक्षकों की बेहतर तैनाती के लिए लिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल राज्य की शिक्षा व्यवस्था को ज्यादा सशक्त और संतुलित बनाएगी। युक्तियुक्तकरण से न सिर्फ शिक्षकों का समुचित उपयोग होगा, बल्कि बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी मिल सकेगी।

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