भारतीय डाक विभाग ने 50 साल से भी अधिक पुरानी प्रतिष्ठित सेवा को समाप्त करने की करी घोषणा, 1 सितम्बर से होगी लागू

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भारतीय डाक विभाग ने 50 साल से भी अधिक पुरानी प्रतिष्ठित सेवा को समाप्त करने की करी घोषणा, 1 सितम्बर से होगी लागू

भारतीय डाक विभाग ने 50 साल से भी अधिक पुरानी प्रतिष्ठित सेवा को समाप्त करने की करी घोषणा, 1 सितम्बर से होगी लागू

डाक सेवा में आधुनिकता और संचालन की दक्षता लाने के उद्देश्य से लिया गया फैसला

ब्रिटिश काल से जुड़ी थी इस सेवा की शुरुआत, वक्त के साथ बदलाव जरूरी



भारतीय डाक विभाग, जो दशकों से आम आदमी के भरोसे का प्रतीक रहा है। उसने अब अपनी 50 साल से भी अधिक पुरानी प्रतिष्ठित सेवा को समाप्त करने की घोषणा कर दी है। एक सितंबर से नागरिक अपने पार्सल को विश्वसनीय और सस्ती रजिस्ट्री के माध्यम से नहीं भेज पाएंगे। विभाग ने इस सेवा को अपनी महंगी स्पीड पोस्ट सेवा में विलय करने का आदेश जारी कर दिया है, जिससे अब हर पार्सल भेजना नागरिकों की जेब पर भारी पड़ने वाला है। यह फैसला डाक सेवा में आधुनिकता और संचालन की दक्षता लाने के उद्देश्य से लिया गया है।

50 साल पुरानी सेवा का अंत

रजिस्टर्ड पोस्ट भारतीय डाक की एक भरोसेमंद और लोकप्रिय सेवा रही है, जो करीब 50 वर्षों से अधिक समय तक लाखों लोगों के जीवन का हिस्सा रही। सरकारी पत्राचार, नौकरी के नियुक्ति पत्र, कानूनी नोटिस, अदालतों की सूचनाएं और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज इसी सेवा के माध्यम से सुरक्षित रूप से भेजे जाते थे। यह सेवा खासकर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में बहुत लोकप्रिय थी।

इस सेवा से जुड़े लोगों की कई भावनाएं भी जुड़ी रही हैं। पुराने समय में जब इंटरनेट और मोबाइल फोन नहीं थे, तब यह रजिस्टर्ड पोस्ट ही सूचना और भावनाओं का पुल थी। किसी घर में रजिस्टर्ड डाक आना कभी खुशी का, तो कभी चिंता का कारण हुआ करता था।

डाक विभाग के उप महानिदेशक (मेल) दुष्यंत मुदगिल द्वारा देश के सभी पोस्टमास्टरों को भेजे गए पत्र के अनुसार, यह कदम परिचालन दक्षता बढ़ाने और सेवाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए उठाया गया है। विभाग का दावा है कि एक ही तरह की दो सेवाओं (रजिस्ट्री और स्पीड पोस्ट) को चलाने में दोगुने मैनपावर का इस्तेमाल हो रहा था और इस विलय से ट्रैकिंग तंत्र बेहतर होगा और ग्राहकों को अधिक सुविधा मिलेगी।

इस बदलाव का सबसे सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। अब तक जो 20 ग्राम का पार्सल लगभग 26-27 रुपये में रजिस्ट्री हो जाता था, उसे स्पीड पोस्ट से भेजने के लिए 41 रुपये चुकाने होंगे, जो लगभग 75 प्रतिशत की भारी वृद्धि है। यह बोझ पार्सल के वजन और दूरी के साथ हजारों रुपये तक बढ़ जाएगा, जिससे विभाग को प्रतिदिन करोड़ों की अतिरिक्त आय होगी। अकेले रायपुर में ही रोजाना औसतन 10 हजार से ज्यादा स्पीड पोस्ट बुक होते हैं।

1 सितंबर से लागू होगा नया नियम

डाक विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह नई व्यवस्था 1 सितंबर 2025 से देशभर में लागू हो जाएगी। इससे पहले सभी सरकारी संस्थानों, अदालतों और अन्य विभागों को सूचित कर दिया जाएगा ताकि वे अपनी प्रक्रियाओं में आवश्यक संशोधन कर सकें। सभी ट्रेनिंग मटेरियल, मैनुअल और तकनीकी दस्तावेजों में भी 31 जुलाई 2025 तक बदलाव कर दिए जाएंगे। अब "पंजीकृत डाक" या "पावती सहित पंजीकृत डाक" जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाएगा। इनकी जगह "स्पीड पोस्ट" शब्द उपयोग में लाया जाएगा।

ब्रिटिश काल से जुड़ी थी इस सेवा की शुरुआत

रजिस्टर्ड डाक सेवा की शुरुआत ब्रिटिश शासन काल में हुई थी। उस समय यह सेवा इतनी विश्वसनीय मानी जाती थी कि इसके माध्यम से भेजे गए दस्तावेज अदालत में सबूत के तौर पर पेश किए जा सकते थे। बैंकों, सरकारी विभागों, अदालतों और शैक्षणिक संस्थानों ने वर्षों तक इस सेवा का बड़े पैमाने पर उपयोग किया।

वक्त के साथ बदलाव जरूरी

डाक विभाग का मानना है कि डिजिटल युग में और निजी कूरियर कंपनियों की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह कदम जरूरी था। ई-कॉमर्स और ट्रैकिंग जैसी आधुनिक सुविधाओं की मांग ने पारंपरिक सेवाओं की प्रासंगिकता को कम कर दिया है। ऐसे में यह बदलाव डाक विभाग को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है।


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