राज्य बना cm व मंत्री बदले पर नही बदला तो इन ग्रामीणों का हाल, 25 सालों से सड़क की मांग नही हुई पूरी, बरसात में टूट जाता था सम्पर्क

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राज्य बना cm व मंत्री बदले पर नही बदला तो इन ग्रामीणों का हाल, 25 सालों से सड़क की मांग नही हुई पूरी, बरसात में टूट जाता था सम्पर्क

राज्य बना cm व मंत्री बदले पर नही बदला तो इन ग्रामीणों का हाल, 25 सालों से सड़क की मांग नही हुई पूरी, बरसात में टूट जाता था सम्पर्क

शासन प्रशासन सो जाये तो जनता जाती है जाग, पेश की हौसलों की मिशाल

अब इस गांव के लोगों ने पकड़ी दशरथ मांझी की राह, वह कर दिखाया जो शासन-प्रशासन 25 साल से नहीं कर पाया

सड़क मांग कर थक चुके ग्रामीणों में कुदाल, गैंती और बेलचा से वह कर दिखाया जो शासन-प्रशासन नहीं कर पाया




छत्तीसगढ़ राज्य के धमतरी जिले के डुबान क्षेत्र स्थित नाथूकोन्हा गांव इन दिनों चर्चा में है। गांव के लोगों ने 25 सालों से सड़क की मांग पूरी न होने पर दशरथ मांझी की राह पर चलते हुए खुद ही दो किलोमीटर का पथरीला रास्ता बनाकर उसे सड़क में तब्दील कर दिया। ग्रामीणों ने कुदाल, गैंती और बेलचा जैसे औजारों का इस्तेमाल कर यह कार्य किया, जो शासन-प्रशासन 25 सालों में नहीं कर पाया। यह सड़क ग्रामीणों के हौसले और पीड़ा की जीती जागती मिसाल है।

जहां सरकारें योजनाओं के पुल पर भाषणों का बोझ ढो रही हैं, वहीं धमतरी के डुबान क्षेत्र के गांव नाथूकोन्हा के ग्रामीणों ने हालात से लड़कर खुद अपना रास्ता बना लिया। 25 वर्षों से सड़क की मांग कर-करके थक चुके इन लोगों ने आखिर दशरथ मांझी की राह पकड़ी और कुदाल, गैंती, बेलचा से वह कर दिखाया जो शासन-प्रशासन नहीं कर पाया। विकास के दावे करने वाले नेताओं और अफसरों के लिए यह गांव एक खामोश लेकिन करारा जवाब बनकर खड़ा है।

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध गंगरेल बांध और अंग्रेजों के जमानें में बने माड़मसिल्ली बांध से और आगे डुबान क्षेत्र की शुरुआत होती है। इस क्षेत्र में रहने वाले ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपनी खेती और घर-बार छत्तीसगढ़ की समृद्धि के लिए अर्पित कर दिया था। यहां से इकट्ठा होने वाला पानी पूरे छत्तीसगढ़ को समृद्ध करता है। दुर्भाग्य है कि इन्हीं गांव में एक नाम नाथूकोन्हा का है, जिन्हें छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 25 साल बाद भी एक कच्ची सड़क भी नसीब नहीं हुई।

विकास का पहिया तेजी से घूमने के लिए सड़क जरुरी है। क्योंकि सड़क जितनी अच्छी होगी विकास का चक्का उतनी ही तेजी से घूमेगा। इस मार्ग के पीछे ग्रामीणों का दर्द भी छिपा है, जो रेवड़ी बांटने वाली सरकार पर सवाल उठाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि 25 साल पहले जब छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने थे, तब उनके पिता, चाचा आदि ने अपनी तकलीफ बताई थी और सड़क की गुहार लगाई थी। ग्राम सुराज, लोक सुराज से लेकर तमाम प्रशासनिक कवायदों में इनकी अर्जियां नत्थी होती रही। एक के बाद एक मुख्यमंत्री बदलते गए पर सब जगह आश्वासन ही मिलता रहा। आज तक कोई अधिकारी सुध लेने नहीं पहुंचा न ही नेता और मंत्री। थक हारकर ग्रामीणों ने खुद सड़क बना ली।

इस गांव का दर्द यह है कि कोई बीमार हो जाए तो उन्हें अस्पताल लाने लायक सड़क नहीं है। खाट में लिटाकर उन्हें अस्पताल लाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जो अफसर व मंत्री छत्तीसगढ़ की जो तस्वीर दिखाते हैं, वे नाथूकोन्हा भी कभी आ जाएं। उनकी हकीकत सामने आ जाएगी। ऐसा नहीं है कि यह पहुंच मार्ग ग्रामीणों ने पहली बार बनाया है। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात में उनकी बनाई सड़क बह जाती है, टूट-फूट जाती है। इसीलिए तो सरकार का 25 सालों से चक्कर काट रहे हैं।

इसी गांव के ग्रामीणों ने सालों पहले 25 फीट ऊंचे और 250 फीट लंबे पहाड़ को काटकर गांव के लिए नई सड़क बनाई है। नाथूकोन्हा के ग्रामीणों की यह कहानी केवल सड़क बनाने की नहीं, बल्कि हक और हौसले की मिसाल है। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर सरकारें सो जाएं, तो जनता जाग जाती है।

ग्रामीणों ने बताया कि 24 साल से ज्यादा समय तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े। पांच किलोमीटर कच्चे रास्ते को पक्का करने की मांग जब पूरी नहीं हुई तो उन्होंने अपने हाथों में खुद फावड़ा लेकर दशरथ मांझी बनने का संकल्प लिया। इसके बाद विकास की राह में बाधा बन रहे 250 मीटर लंबे पहाड़ का सीना चीरकर 1600 मीटर अस्थायी सड़क का निर्माण कर दिया। जिससे पांच किलोमीटर घूमकर आने जाने वाली कच्ची और पथरीली सड़क के बदले अब ग्रामीण नए पहाड़ी रास्ते का इस्तेमाल कर रहे हैं।

ग्रामीण सत्य नारायण मंडावी, शंकर सलाम,चंद्रु यादव, फागु राम मंडावी, बिरबल मंडावी, गोपी यादव, सचिन सलाम, शुक्खु राम दुग्गा, सुखदेव राम दुग्गा, चुम्मन सलाम पवन नेताम, सीताराम मंडावी, कृषणा सलाम आदि ने मिल-जुलकर पत्थरों को तोड़ा और घाटी को समतल किया। अब यहां मुरूमयुक्त पहुंच मार्ग तैयार है पर इस मार्ग के पीछे ग्रामीणों का दर्द भी छिपा है, जो निश्शुल्क रुपये बांटने वाली सरकार पर सवाल उठाते हैं।

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