केंद्र के निर्देश पर 33 जिलों 13,964 दुकानों की हुई जांच, 1231 दुकानों में आई गड़बड़ी पकड़
चावल समेत गायब हुए इस सभी राशन की कीमत करीब 49 करोड़ रुपए
एजेंसी---
उचित मूल्य की दुकानों में गरीबों के लिए आने वाले सरकारी अनाज को बाजारों में बेच दिया जा रहा है। इसका खुलासा तब हुआ जब खाद्य विभाग ने 2024 में इन दुकानों के बचत स्टॉक की जांच करवाई। केंद्र के निर्देश पर 33 जिलों 13,964 दुकानों की जांच की गई। इसमें 1231 दुकानों में गड़बड़ी पकड़ में आई। ये सभी जांच रिपोर्ट जिला खाद्य अधिकारी के कार्यालय में जमा है।
इन दुकानों की जांच में 1.11 लाख क्विंटल चावल गायब मिला। इसकी कीमत 47 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। दुकानवाले 1.5 लाख किलो चना, 55 हजार किलो गुड़, 2.5 लाख किलो नमक और 1.5 लाख किलो चीनी का भी हिसाब नहीं दे पाए। चना 62 लाख, गुड़ 23 लाख, नमक 24 लाख और चीनी 60 लाख रुपए की बताई जा रही है। यानी चावल समेत गायब हुए इस सभी राशन की कीमत करीब 49 करोड़ रुपए है।
कुछ दुकानों में तो कई साल के रिकॉर्ड गड़बड़ मिले हैं। बालौदाबाजार और सूरजपुर जैसे जिलों में तो 150 दुकानों में गड़बड़ियां पाई गईं। वहीं दंतेवाड़ा और गरियाबंद ऐसे जिले हैं, जहां एक भी दुकान में अनाज कम नहीं मिला।
विधासभा में भी उठा था मुद्दा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस मामले को विधानसभा में उठाया था। उन्हें खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने जवाब दिया था कि मार्च 2024 की स्थिति में बचत स्टॉक का सत्यापन करवाया गया है। अप्रैल 2024 से मई 2024 के बीच यह जांच करवाई गई। दुकानों में सत्यापन में पाई गई कमियों के लिए महिला स्व सहायता समूह के द्वारा संचालित दुकानों के प्रबंधक और विक्रेता, ग्राम पंचायतों में सचिव या सरपंच उत्तरदायी हैं। इस पर महंत ने कहा था कि अफसरों को उत्तरदायी क्यों नहीं बनाया जा रहा। स्टॉक चेक करने की जिम्मेदारी तो उनकी है।
कोरोना काल में हुआ बड़ा खेल रिकॉर्ड जांचे गए तो सबसे अधिक गड़बड़ी 2020 से लेकर 2023 के बीच की मिली। एक महीने चली इस जांच में सामने आया कि दुकान संचालकों ने सामान बांट दिया, लेकिन उसे ऑनलाइन अपडेट ही नहीं किया। पूछने पर उन लोगों ने बताया कि उस समय दुकान कभी-कभी खोली जाती थी, इसलिए अपडेट नहीं कर पाए।
ऐसे पकड़ में आई गड़बड़ी: जांच दल ने जब दुकानों के रिकॉर्ड चेक किए तो रिकॉर्ड बराबर नहीं मिला। जैसे एक दुकान ने 100 क्विंटल चावल लिया, पर कागजों में 80 क्विंटल वितरण दिखाया, बाकी का हिसाब ही नहीं था। जहां कमी मिली उन दुकानों पर क्या दंड लगे, यह एसडीएम और शहर में खाद्य निरीक्षक सक्षम प्राधिकारी तय करते हैं। पर अभी तक कई दुकानों पर कार्रवाई नहीं की गई है।
गलती 1231 की पर सजा सिर्फ 251 को: 1231 दुकानों में से विभाग ने कार्रवाई 251 के खिलाफ ही की। 109 का आवंटन निलंबित किया। 30 का आवंटन निरस्त और 106 से वसूली आदेश निकाला। 6 पर एफआईआर की गई। बाकी से जवाब मांगा है। हाल ही में खाद्य नागरिक आपूर्ति के संचालक कार्तिकेय गोयल ने आदेश जारी किया है कि अनाज की जितनी कमी पाई गई थी, उसे जमा करें।
उचित मूल्य की दुकानों का मार्च 2024 तक के लिए भौतिक सत्यापन करवाया गया था। समय-समय पर यह सत्यापन करना फूड इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी होती है। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाई, इस वजह से ही इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई। अब जिम्मेदारों की जिम्मेदारी तय कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। -रीना बाबा कंगाले, सचिव, खाद्य विभाग



