प्रदेश में उज्ज्वला और एनएफएसए कनेक्शनधारियों के नाम पर हो रही रसोई गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी

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प्रदेश में उज्ज्वला और एनएफएसए कनेक्शनधारियों के नाम पर हो रही रसोई गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी

प्रदेश में उज्ज्वला और एनएफएसए कनेक्शनधारियों के नाम पर हो रही रसोई गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी

उपभोक्ताओं को गैस सिलेंडर की डिलीवरी ओटीपी बताने के बाद ही मिलेगी, सब्सिडी का दुरुपयोग और ब्लैक मार्केटिंग पर कसेगा शिकंजा



रायपुर। प्रदेश में उज्ज्वला और एनएफएसए कनेक्शनधारियों के नाम पर हो रही रसोई गैस सिलेंडरों की कालाबाजारी पर अब शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है। विभाग ने कड़े कदम उठाते हुए आदेश जारी किया है कि अब इन उपभोक्ताओं को गैस सिलेंडर की डिलीवरी ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) बताने के बाद ही दी जाएगी। सरकार के इस निर्णय का उद्देश्य सीधे तौर पर सब्सिडी के दुरुपयोग और गैस की ब्लैक मार्केटिंग को रोकना है।

वह उपभोक्ता जो कुछ समय पहले तक साल में 6 से 9 सिलेंडर तक ले रहे थे, इनकी संख्या अचानक से सालाना 12 सिलेंडर तक पहुंच गई। ऐसे में खाद्य विभाग को उज्ज्वला कोटे के तहत शेष 3 सिलेंडर की कालाबाजारी होने की आशंका सामने आई है। इस घोटाले में गैस एजेंसी संचालकों की मिलीभगत पर विभाग को शक हुआ।गैस कंपनियों ने राजस्व बढ़ाने के लिए ऑटोबुकिंग सेवा भी शुरू कर रखी है। एक समय के बाद एजेंसी संचालक सिलेंडर की ऑटो बुकिंग कर देते हैं। 

बता दें कि छत्तीसगढ़ में उज्ज्वला योजना के अंतर्गत कुल 36,76,260 गैस कनेक्शन जारी किए गए हैं। अकेले रायपुर जिले में 1,65,918 उज्ज्वला कनेक्शन हैं। इन उपभोक्ताओं को राज्य सरकार की ओर से प्रति सिलेंडर 450 रुपए की सब्सिडी और केंद्र सरकार की ओर से 300 रुपए की सब्सिडी सीधे डीबीटी के जरिए दी जाती है।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की ओर से इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि राज्य में उज्ज्वला और एनएफएसए कनेक्शनधारियों को अब केवल ओटीपी सत्यापन के बाद ही गैस सिलेंडर रिफिल की डिलीवरी की जाए।

हर महीने सिलेंडर रिफिल पर संदेह

खाद्य विभाग के अनुसार, पहले जब इन लाभार्थियों को सब्सिडी नहीं दी जाती थी, तब एक साल में उनकी औसत रिफिल संख्या छह से नौ के बीच होती थी। लेकिन अब हर माह सिलेंडर रिफिल करवाया जा रहा है, जिससे संदेह पैदा हुआ है कि कहीं इन कनेक्शनधारियों के नाम पर गैस एजेंसी संचालक या अन्य व्यक्ति अवैध रूप से सिलेंडर बुक करवा रहे हैं और उन्हें बाजार में ऊंचे दाम पर बेच रहे हैं।

फर्जी बुकिंग और कालाबाजारी के चलते राज्य सरकार को हर माह करोड़ों रुपए की सब्सिडी का नुकसान उठाना पड़ रहा है। बुकिंग लाभार्थी के नाम से होती है, लेकिन सिलेंडर किसी और को मिल जाता है, और सरकार को सब्सिडी ट्रांसफर करनी पड़ती है। नए आदेश के तहत अब जब तक लाभार्थी गैस सिलेंडर की डिलीवरी के वक्त मोबाइल पर आए ओटीपी नंबर को नहीं बताएगा, तब तक उसे सिलेंडर नहीं दिया जाएगा। इससे यह तय होगा कि रिफिल की गई गैस उसी व्यक्ति को मिले, जिसके नाम से बुकिंग हुई है।

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