छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200करोड़ रुपये के शराब घोटाले में हुवा एक और बड़ा खुलासा, EOW ने की सातवीं चार्जशीट दाखिल
अब तक कुल 50 आरोपितों के विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश, मामले की विवेचना अब भी जारी
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200करोड़ रुपये के शराब घोटाले में बुधवार को एक और बड़ा खुलासा हुआ। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने विशेष अदालत में सातवीं चार्जशीट दाखिल कर दी। इसमें तत्कालीन आबकारी आयुक्त एवं सचिव निरंजन दास सहित कुल छह आरोपितों की अवैध कमाई के बारे में बताया गया है। इस प्रकरण में अब तक कुल 50 आरोपितों के विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है। मामले की विवेचना अब भी जारी है।
चार्जशीट के अनुसार आरोपित निरंजन दास ने लगभग तीन वर्ष की अपनी पदस्थापना अवधि में आबकारी नीति एवं अधिनियम में बदलाव, विभागीय निविदा में हेरफेर, विशेष व्यक्तियों और सक्रिय सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने वाली व्यवस्थाएं जानबूझकर कीं, ताकि पूर्व आइएएस अनिल टुटेजा एवं अनवर ढेबर के संरक्षण वाले सिंडिकेट को अवैध कमीशन उगाही में सीधा लाभ मिल सके।
प्रतिमाह 50 लाख रुपये तक की हिस्सेदारी मिलती थी
ईओडब्ल्यू ने पाया है कि बदले में निरंजन दास को प्रतिमाह 50 लाख रुपये तक की हिस्सेदारी मिलती थी। उनकी पदस्थापना अवधि के वित्तीय लेन-देन के विश्लेषण से कम से कम 16 करोड़ रुपये की अवैध आय अर्जित की है। यह राशि उनके और उनके स्वजन के नाम पर अचल संपत्तियों में निवेश किए जाने के प्रमाण भी सामने आए हैं। आगे की जांच में यह रकम और भी अधिक होने की संभावना जताई गई है।
530 करोड़ रुपये का किया नुकसान
चार्जशीट में विदेशी शराब पर जबरन कमीशन वसूली वाली फर्जी एफएल-10ए लाइसेंस नीति का भी पूरा ब्यौरा है। इस गलत नीति से राज्य को कम से कम 530 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस नीति के दो मुख्य फायदा लेने वाले अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा भी अब आरोपी हैं। इन लोगों ने शराब कंपनियों और सिंडिकेट के बीच दलाली की और 114 करोड़ रुपये खुद रख लिए।
अनबर ढेबर के करीबी का बेटा भी आरोपी
अनवर ढेबर के करीबी नितेश पुरोहित और उनके बेटे यश पुरोहित पर इल्ज़ाम है कि उन्होंने अपने होटल गिरिराज में सिंडिकेट की 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की काली कमाई जमा की, छुपाई और एक जगह से दूसरी जगह भेजी।
अभी जांज जारी है
वहीं, अनवर ढेबर का पुराना दोस्त और होटल वेलिंग्टन कोर्ट का मैनेजर दीपेन चावड़ा भी फंसा है। एजेएस एग्रो में डायरेक्टर रहते हुए सिंडिकेट के पैसों से करोड़ों रुपये के जमीन निवेश में सक्रिय था। इनकम टैक्स रेड (फरवरी 2020) के बाद उसने सिंडिकेट के लिए 1,000 करोड़ रुपये से अधिक कैश और गोल्ड को सुरक्षित रखने और आगे भेजने का काम भी किया। इसके अलावा अन्य विभागों से होने वाली अवैध वसूली को भी एकत्रित कर आगे पहुंचाने की जिम्मेदारी उसी के पास थी। सभी छह नए आरोपी इस वक्त रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। ईओडब्ल्यू का कहना है कि जांच अभी खत्म नहीं हुई है, और भी नाम के साथ और भी बड़ी रकम सामने आ सकती है।



