जनहित में बड़ा फैसला: पेरी-अर्बन व अन्य ग्रामों में वर्ग मीटर दर समाप्त

Breaking Posts

6/trending/recent
Type Here to Get Search Results !

जनहित में बड़ा फैसला: पेरी-अर्बन व अन्य ग्रामों में वर्ग मीटर दर समाप्त

जनहित में बड़ा फैसला: पेरी-अर्बन व अन्य ग्रामों में वर्ग मीटर दर समाप्त

स्टाम्प व रजिस्ट्री शुल्क में नागरिकों को सीधा लाभ

नई गाइडलाइन दरें दिनांक 20 नवंबर 2025 से पूरे राज्य में हो चुकी है प्रभावशील



रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंशानुसार वित्त एवं वाणिज्य कर पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने भूमि मूल्यांकन प्रक्रिया को अधिक सरल, पारदर्शी और जनहितैषी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पेरी-अर्बन ग्रामों एवं अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में लागू वर्ग मीटर दर को पूर्णतः समाप्त कर दिया है। अब ग्रामीण एवं अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में भूमि का मूल्यांकन केवल हेक्टेयर दर के आधार पर किया जाएगा। इस फैसले से आम नागरिकों, किसानों और भू-धारकों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा।

पूर्व व्यवस्था के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 500 वर्ग मीटर तक की भूमि का मूल्यांकन वर्ग मीटर दर से तथा 500 वर्ग मीटर से अधिक भूमि का मूल्यांकन हेक्टेयर दर से किया जाता था। चूंकि वर्ग मीटर दर, हेक्टेयर दर की तुलना में अधिक होती थी, इसलिए कम क्षेत्रफल वाली भूमि पर अधिक मूल्य और मुआवजा देय हो जाता था, जबकि बड़े क्षेत्रफल की भूमि पर अपेक्षाकृत कम। यह एक बड़ी विसंगति थी, जिसे समाप्त करते हुए सरकार ने अब सभी ग्रामीण भूमि के लिए एक समान हेक्टेयर आधारित मूल्यांकन व्यवस्था लागू की है।

इस निर्णय से भू-अर्जन प्रकरणों में अब भूमि के वास्तविक क्षेत्रफल के अनुरूप न्यायसंगत मुआवजा मिल सकेगा। उदाहरण के तौर पर बालोद जिले के ग्रामीण क्षेत्र देवारभाट में पूर्व व्यवस्था के तहत 500 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन 9 लाख 25 हजार रुपये किया जाता था, जबकि 1000 वर्ग मीटर (0.10 हेक्टेयर) भूमि का मूल्यांकन केवल 3 लाख 67 हजार रुपये होता था। नई व्यवस्था में वर्ग मीटर दर समाप्त होने के बाद 500 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन 6 लाख रुपये तथा 1000 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन 12 लाख रुपये किया जा रहा है, जो पूरी तरह तर्कसंगत और न्यायसंगत है।

वर्ग मीटर दर समाप्त होने से स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क में भी उल्लेखनीय कमी आई है। भूमि का मूल्यांकन अब वास्तविक और किफायती दरों पर होने से रजिस्ट्री की कुल लागत घट रही है। इससे ग्रामीण एवं पेरी-अर्बन क्षेत्रों में भूमि खरीदना आम नागरिकों के लिए अधिक सुलभ हो गया है।

उप पंजीयक कार्यालय बालोद में 9 अक्टूबर 2025 को पंजीकृत एक दस्तावेज के अनुसार ग्राम देवारभाट में 15 डिसमिल भूमि के पंजीयन में पूर्व व्यवस्था के तहत बाजार मूल्य 7 लाख 90 हजार रुपये आंका गया था, जिस पर 74 हजार 900 रुपये स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क देय था। नई व्यवस्था लागू होने के बाद उसी भूमि का बाजार मूल्य 4 लाख 80 हजार रुपये निर्धारित हुआ और पक्षकारों द्वारा मात्र 45 हजार 500 रुपये स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क अदा किया गया। इस प्रकार संबंधित पक्षकारों को सीधे 29 हजार 400 रुपये का लाभ हुआ।

सरकार के इस फैसले से किसानों, भू-धारकों और आम खरीदारों को अनावश्यक अतिरिक्त खर्च से राहत मिलेगी। साथ ही भूमि लागत कम होने से रियल एस्टेट, आवास निर्माण और विकास कार्यों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। मूल्यांकन प्रक्रिया के सरलीकरण से नियमों की जटिलता कम हुई है और आमजन के लिए प्रक्रिया अधिक सहज एवं पारदर्शी बनी है।

राज्य सरकार का यह निर्णय ग्रामीण एवं अर्द्ध-शहरी जनता के हित में दूरगामी प्रभाव वाला कदम है, जिससे हजारों लोग प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे। सरकार का उद्देश्य भूमि एवं आवास से जुड़ी प्रक्रियाओं को सुलभ, किफायती और जनकल्याणकारी बनाना है और यह सुधार उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

भूमि की नई गाइडलाइन दरें लागू : वैज्ञानिक युक्तिकरण से बाजार मूल्य के अनुरूप निर्धारण, किसानों और आमजन को होगा लाभ

छत्तीसगढ़ में भूमि के वास्तविक बाजार मूल्य को प्रतिबिंबित करने और वर्षों से चली आ रही विसंगतियों को दूर करने के उद्देश्य से वर्ष 2025-26 की नई गाइडलाइन दरें लागू कर दी गई हैं। “छत्तीसगढ़ गाइडलाइन दरों का निर्धारण नियम, 2000” के प्रावधानों के तहत उप जिला एवं जिला मूल्यांकन समितियों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर स्थावर संपत्तियों के बाजार मूल्य निर्धारण से संबंधित इन दरों को केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड, छत्तीसगढ़ रायपुर द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है। नई गाइडलाइन दरें दिनांक 20 नवंबर 2025 से पूरे राज्य में प्रभावशील हो चुकी हैं।

वर्ष 2019-20 के बाद लगभग छह वर्षों के अंतराल पर गाइडलाइन दरों का यह व्यापक पुनरीक्षण किया गया है। इस अवधि में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वास्तविक बाजार मूल्य और गाइडलाइन दरों के बीच उल्लेखनीय अंतर उत्पन्न हो गया था। इसी असंतुलन को दूर करने के लिए वैज्ञानिक, तथ्यपरक और तुलनात्मक पद्धति अपनाते हुए नई दरें निर्धारित की गई हैं। इसका उद्देश्य भूमि के वास्तविक मूल्य को सामने लाना, संपत्ति लेन-देन को पारदर्शी बनाना तथा किसानों और आम नागरिकों को उनकी संपत्ति का उचित मूल्य सुनिश्चित कराना है।


छत्तीसगढ़ में भूमि स्वामियों के लिए खुशखबरी, अब घर बैठे ऑनलाइन होगा जमीनों का डायवर्सन

राज्य सरकार ने भूमि डायवर्सन प्रक्रिया को ऑनलाइन करने का बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश में किसानों और भूमि स्वामियों को एसडीएम कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। भूमि स्वामी सरकारी पोर्टल पर आवेदन करके घर बैठे ही अपने जमीनों का डायवर्सन करा सकेंगे। राजस्व विभाग ने इस नई व्यवस्था की अधिसूचना शनिवार को राजपत्र में प्रकाशित कर दी है।

नए नियमों के तहत नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि डायवर्सन के लिए सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं होगी। आवेदन संबंधित जिले के एसडीएम तक ऑनलाइन पहुंचेगा और एसडीएम को 15 दिनों के भीतर आदेश जारी करना अनिवार्य होगा। यदि तय समय में आदेश नहीं दिया गया, तो 16वें दिन ऑटोमेटिक सिस्टम से आदेश स्वतः मान्य हो जाएगा।

नई ऑनलाइन प्रक्रिया से पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित होगी। प्रीमियम दरें भी तय की गई हैं, जो नगर निगम और नगरपालिका क्षेत्रों में तीन से 25 रुपए प्रति वर्गमीटर तक होंगी। दरें आवासीय, कॉलोनी परियोजना, वाणिज्यिक, औद्योगिक, मिश्रित उपयोग, सार्वजनिक, संस्थागत, चिकित्सा सुविधाएं और विशेष आर्थिक क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होंगी।

Top Post Ad


 

Below Post Ad

Ads Bottom