108 के चालक की मनमानी का शिकार हुवे ग्रामीण, घण्टो करना पड़ा उनके आने का इंतजार, परिजनों ने लगाया चालक एवम स्टाफ पर आरोप
विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव
पत्थलगांव। 108 जैसी सुविधा सरकार ने बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम की अत्याधुनिक एंबुलेंस हर जिले से लेकर तहसील और गांव स्तर तक तैनात कर रखी है, ताकि दुर्घटना एवम अन्य प्रकार के आपातकाल के वक्त घायल मरीज को तत्काल इलाज की सुविधा मुहैया हो सके और अस्पताल पहुंचने तक मरीज को प्राथमिक उपचार दिया जा सके।
ग्रामीण अंचलों के मरीजों के लिए शुरू की गई 108 एम्बुलेंस सेवा का लाभ लोगों को मिल तो पा रहा है। परन्तु कभी कुछ चालकों के मनमानी या अन्य कुछ कारण की वजह से ग्रामीण मरीजों और परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके ठीक विपरीत कभी ऐसे लोगों को परेशान होता देखा जा सकता है जिन्हें बेहतर इलाज हेतु जल्दी बड़े अस्पताल पहुंचने की हड़बड़ी तो रहती है परंतु चालकों की मनमानी के वजह से परिजनों को काफी इंतजार करना पड़ता है। एक ऐसे ही मामला पत्थलगांव से रायगढ़ उपचार हेतु जा रहे मरीज एवम उनके परिजनों के साथ देखने को मिला। जहां तेलकुमार चौहान जो कापू क्षेत्र के बन्धनपुर ख़ुर्शी टिकरा जिला रायगढ़ के निवासी है जिन्हें बीपी से काफी परेशानी थी, उनके परिजनों के द्वारा 108 से सम्पर्क साधने के बाद पत्थलगांव से 108 की सेवा रायगढ़ के मेडिकल कॉलेज छोड़ने हेतु मिली। मरीज की बेटी साधना चौहान ने बताया कि उनके द्वारा 108 के जरिये मेडिकल कॉलेज ले जाया जा रहा था, तभी नंन्दन झरिया के समीप ढाबे पर 108 को रोक खाना खा लेने की बात कही गई और वे खाना खाने चले गये। उनके खाना खाने के कारण आधा पौन घण्टे से भी अधिक देर तक चालक समेत स्टाफ का इंतजार करना पड़ा। परिजनों समेत उनके साथ जा रहे विक्रम यादव उनके पड़ोसी का भी कहना था कि यदि मरीज को कुछ हो जाता है तो इसका जिम्मेदार हम किसे मानेंगे। परिजनों ने कहा कि उनका काम है कि आपातकाल में सर्वप्रथम मरीज को गंतब्य स्थान तक पहुंचा दी जाये उसके पश्चात ही बाकी कार्य का निष्पादन करें। परिजनों ने आरोप लगाया कि 108 एम्बुलेंस सेवाएं जो संकट के समय लोगों को सेवा प्रदान करने के लिए होती हैं। पर रास्ते मे चालक का गलत निर्णय के कारण बहुत समय बर्बाद होती हैं, बल्कि कई बार आपात परिस्थिति में उपचार में बाधा भी बनती है, जिसके परिणामस्वरूप लोगो को कई बार जान से नुकसान भी उठाना पड़ता है।