बुधवार को सतनामी समाज ने संत शिरोमणि गुरु घासीदास की जयंती पर किया नगर में स्थित जैतखाम की पूजा

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बुधवार को सतनामी समाज ने संत शिरोमणि गुरु घासीदास की जयंती पर किया नगर में स्थित जैतखाम की पूजा

बुधवार को सतनामी समाज ने संत शिरोमणि गुरु घासीदास की जयंती पर किया नगर में स्थित जैतखाम की पूजा 

घासीदास बाबा की जयकारे के साथ निकली शोभायात्रा, शोभायात्रा के साथ हुवे अन्य कार्यक्रम





बुधवार को सतनामी समाज ने संत शिरोमणि गुरु घासीदास की जयंती पर नगर के अंबेडकर नगर में स्थित जैतखाम की पूजा की। जैतखाम की प्रतिमा को सजा महिला व पुरुषों ने डीजे की धुन पर घासीदास बाबा की जयकारे के साथ शोभायात्रा निकाली, जो शहर के मुख्य मार्ग से होते हुवे वापस जैतखाम स्थल पहुंची। शहर के तीनों मार्गों में निकाली शोभायात्रा मे सतनाम समाज के बूढ़े, युवा के साथ साथ सतनाम समाज के महिलाये एवम बच्चे शामिल होकर समाज के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर की, इस यात्रा में सबसे आगे पंथी नृत्यकर्ता नृत्य करते बढ़ रहे थे। 

पीछे पीछे समाज के सभी लोग चल रहे थे, युवाओ के द्वारा पटाखे फोड़ कर अपनी खुशी का इजहार किया। उनके द्वारा घासीदास जी के चित्रों से भब्य रूप से सजाया गया था, शोभायात्रा में लोगों ने अपने हाथों में झंडे लिये हुवे थे जो अपने गुरु के प्रति आदर भाव को महसूस कराता दिख रहा था।

गुरु घासीदास जयंती पर समाज के युवाओं ने सबसे पहले डीजे की धुन पर बाइक रैली का आयोजन किया गया बाइक रैली में समाज के सैकड़ो युवाओं ने हाथों में झंडा लिए जय सतनाम के नारे लगाते हुए बाइक रैली निकाली, और शाम के समय शोभायात्रा के साथ अन्य कार्यक्रम भी हुवे।

बता दें कि संत गुरु घासीदास जयंती पर पूरे प्रदेश के जैत खामों मे विशेष पूजा की जाती है। गांव-गांव में जयंती को लेकर पूर्व से ही पूरी तैयारी कर ली जाती है। बता दें, उनका अवतरण 18 दिसंबर 1756 को गिररौधपुरी में हुआ था। इसलिए 18 दिसम्बर उनकी जयंती के अवसर पर प्रदेश के जिलों से हजारों की संख्या में लोग यहां दर्शन के लिए गिरौधपुरी धाम पहुंचते है। 

 



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