सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर जरूरतमंद महिलाओं एवम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से हो रही ठगी
सायबर अपराधी योजनाओं की राशि खाते में डालने के लिए ओटीपी मांगते है ओटीपी बताते ही खाता हो जाता है खाली
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य की 55 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सरकारी मोबाइल नंबर का डेटा हैक हो गया है। इसमें 26 लाख हितग्राहियों का डिटेल है। ये डेटा ठग गैंग के पास पहुंच गया है। इस कारण इन लाखों महिलाओं को ठगे जाने का संकट मंडरा रहा है। दरअसल, आंगनबाड़ी कार्यकर्याओं के मोबाइल में जितनी हितग्राहियों की हिस्ट्री है, ऑनलाइन ठग उन्हें टारगेट कर रहे हैं।मामले का पता तब लगा जब कुछ महिलाएं दुर्ग एसएसपी से शिकायत करने एसपी ऑफिस आईं थी।
सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर जरूरतमंद महिलाओं से हो ठगी कर रहे है। सायबर अपराधी योजनाओं की राशि खाते में डालने के लिए ओटीपी मांगते है ओटीपी बताते ही खाता हो जाता है खाली। पुलिस का आग्रह है कि कार्यकर्ता ओटीपी देने से पहले पूरी तरह से जानकारी एकत्रित कर ले या अपने उच्चाधिकारियों से जानकारी लेने के बाद है ओटीपी बतायें और अपने साथ साथ हितग्राहियों को भी सतर्क करें। जिससे आपके खाते की जमा पूंजी डूबने से बचा जा सके।
बता दें कि केंद्र सरकार के द्वारा बनवाए गए पोषण ट्रैकर एप का डाटा लीक हो गया है। इसके लिए राज्य के कई जिलों में शिकायत भी दी गई है। शिकायत में बताया गया है कि महिला एवं बाल विकास से जुड़े अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायिकाओं के नाम से सायबर अपराधी फोन कर रहे हैं और गर्भवती महिलाओं और अन्य जरूरतमंद महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर ठग रहे हैं। सायबर अपराधियों के पास पूरा सटीक डाटा होता है। उन्हें पता होता है कि किस महिला के खाते में सरकारी योजनाओं की राशि आने वाली है। वह उसी महिला को फोन करते हैं। सहायता राशि की उम्मीद में और संबंधित महिला बाल विकास के अधिकारियों के परिचय के चलते महिला सायबर अपराधियों को ओटीपी बता देती है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मोबाइल एप में हितग्राही महिला के साथ पति, सास-ससुर और बच्चों के नाम दर्ज रहते हैं। जिसका फायदा उठाकर सायबर अपराधी सटीक जानकारी रख लोगों को फोन कर रहे। उनका आधार और बैंक खाते का नंबर भी एप में रहता है। डेटा लीक होने से ठगों को हर हितग्राही की जानकारी मिल गई है। दरअसल, महिलाओं को पहले बच्चे की डिलीवरी के बाद आंगनबाड़ी के माध्यम से 5000 और दूसरा बच्चा बेटी होने पर 6000 रुपए मिलते हैं। इसके अलावा रेडी टू ईट के तहत पोषाहार का लाभ दिया जाता है। बस इन्हीं स्कीम का नाम लेकर ही महिलाओं को ठगा जा रहा है। जालसाज किसी से महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी बनकर तो किसी को स्वास्थ्य विभाग के अफसर बनकर कॉल करते हैं। अनुमान के मुताबिक ठग पिछले करीब 2 साल के अंदर 10 जिलों में 300 की औसत से लगभग 3 हजार महिलाओं को ठग चुके हैं।