प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामले में 9 आरोपियों के खिलाफ किया पूरक चालान पेश
आईएएस जयप्रकाश मौर्य, उनकी पत्नी निलंबित आईएएस रानू साहू समेत कई आरोपियों के नाम शामिल
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामले में 9 आरोपियों के खिलाफ पूरक चालान पेश किया। इनमें आईएएस जयप्रकाश मौर्य, उनकी पत्नी निलंबित आईएएस रानू साहू समेत कई आरोपियों के नाम हैं।
ईडी ने पूरक चालान में जिन 9 लोगों को आरोपी बनाया है, उनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
आईएएस जयप्रकाश मौर्य: रानू साहू के साथ मिलकर अवैध वसूली में भूमिका निभाने का आरोप।
हेमंत जायसवाल और वीरेंद्र जायसवाल
एडवोकेट पीयूष भाटिया
कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल
कोयला फर्म के मालिक जोगिंदर सिंह
शेख मोइनुद्दीन कुरैशी
पारिख कुर्रे
राहुल सिंह
पेश किए गए चालान में बताया गया है कि हेमंत व वीरेंद्र अवैध कोल लेवी वसूली में सक्रिय रहे। इसके अलावा पारिख व राहुल पर आरोप है कि दोनों कोल घोटाले मामले के किंग पिन सूर्यकांत तिवारी के साथ मिलकर काम करते थे। इन सभी पर आरोप है कि कोयला लेवी के पैसों का कलेक्शन करते और उसे सिंडिकेट से जुड़े लोगों और अधिकारियों तक पहुंचाते थे। वहीं आईएएस जयप्रकाश मौर्य जो रानू साहू के पति हैं, वे रानू साहू के साथ मिलकर काम करते थे। जोगिंदर सिंह, रामगोपाल व पीयूष भाटिया की भी घोटाले में विशेष भूमिका बताई गई है। बता दें कि कोल घोटाला मामले में वीरेंद्र, हेमंत, मोइनुद्दीन, पारिख व राहुल ईओडब्ल्यू के केस में भी आरोपी हैं।
चालान के अनुसार, जयप्रकाश मौर्य और उनकी पत्नी रानू साहू अवैध कोयला लेवी वसूली में शामिल थे। रानू साहू पहले से ही जेल में हैं। अन्य आरोपी, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी भी इस मामले में जेल में बंद हैं।
ईडी की 30 जनवरी की बड़ी कार्रवाई
30 जनवरी को ईडी ने 50 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की थीं। इनमें बैंक बैलेंस, वाहन, नगदी, गहने और जमीनें शामिल थीं। इन संपत्तियों की कुल कीमत 49.73 करोड़ रुपये है।
छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन से जुड़ी इस कथित अवैध वसूली का मामला काफी समय से चर्चा में है। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, इस घोटाले के तहत कोल ट्रांसपोर्ट से जुड़े कारोबारियों से अवैध रूप से वसूली की जाती थी और इस राशि का उपयोग राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों को प्रभावित करने में किया जाता था।
ईडी और आयकर विभाग की संयुक्त जांच के दौरान इस पूरे घोटाले की परतें खुलीं। जांच में सामने आया कि कोल परिवहन से अवैध रूप से करोड़ों रुपये की उगाही की गई। इस पूरे मामले में कई बड़े अधिकारियों और राजनेताओं की संलिप्तता सामने आई, जिसके बाद कार्रवाई शुरू हुई। ईडी की जांच में सामने आया कि कुछ लोगों ने पिछले शासन में नेताओं और अधिकारियों से मिलीभगत कर कोयला ट्रांसपोर्टर्स से जबरन वसूली की। सूर्यकांत तिवारी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया है।