तपकरा को मिली नई पहचान: मुख्यमंत्री साय ने तहसील कार्यालय का किया शुभारंभ, नगर पंचायत का दर्जा देने की घोषणा
जशपुर के 50 स्कूलों को स्मार्ट किट, मुख्यमंत्री ने शिक्षा क्रांति को बताया मील का पत्थर
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जशपुर जिले के तपकरा में तहसीलदार एवं कार्यपालिक दंडाधिकारी कार्यालय का शुभारंभ किया। विदित हो कि 14 जनवरी को जशपुर जिले के प्रवास पर मुख्यमंत्री ने तपकरा को पूर्ण तहसील बनाने की घोषणा की थी। तहसील बनने से इसका लाभ 33 ग्रामों के किसानों, छात्रों और नागरिकों को मिलेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने तपकरा को नगर पंचायत बनाने, तपकरा स्थित खेल स्टेडियम के सौंदर्यीकरण के लिए 50 लाख रुपए स्वीकृत करने और फरसाबहार में विश्राम गृह निर्माण करने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमारी सरकार विकास के हर मोर्चे पर मोदी की गारंटी को तेजी से लागू कर रही है। सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 18 लाख आवास स्वीकृत किए गए। महिलाओं को सशक्त बनाने महतारी वंदन योजना के माध्यम से 70 लाख महिलाओं को प्रति माह 1,000 रुपए दिए जा रहे हैं। तेंदूपत्ता संग्राहकों की आय में वृद्धि के लिए तेंदूपत्ता का समर्थन मूल्य प्रति मानक बोरा 5,500 रुपए किया गया है। गांव में ही बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अटल डिजिटल सेवा केंद्र खोले जा रहे हैं।आगामी पंचायत दिवस पर सभी ग्राम पंचायतों में इसे शुरू करने की योजना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आम नागरिकों की सुविधा के लिए रजिस्ट्री में 10 नई क्रांतियों के तहत नवाचारों का बेहतर उपयोग कर पंजीयन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सरल, डिजिटल और नागरिक केंद्रित बनाया गया है।
कार्यक्रम में कलेक्टर श्री रोहित व्यास ने बताया कि यहां तहसील कार्यालय खुलने से किसानों, भूस्वामियों, छात्रों और नागरिकों को विशेष सुविधा होगी। उन्होंने बताया कि एसडीएम फरसाबहार का लिंक कोर्ट भी आगामी सोमवार से प्रारंभ हो जाएगा।
विधायक श्रीमती गोमती साय ने अपने संबोधन में कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं। आम नागरिकों की सुविधा के लिए राज्य सरकार पूर्ण समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।
जशपुर के 50 स्कूलों को स्मार्ट किट, मुख्यमंत्री ने शिक्षा क्रांति को बताया मील का पत्थर
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने जशपुर जिले के कांसाबेल विकासखंड के बगिया हाई स्कूल में सम्पर्क स्मार्ट स्कूल और स्मार्ट ब्लॉक कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जशपुर के 50 प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए सम्पर्क स्मार्ट किट और टीवी का भी वितरण किया गया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ग्राम बगिया में नवाचार के तहत सम्पर्क स्मार्ट स्कूल की शुरुआत की गई है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने उद्बोधन में बचपन के दिनों को याद करते हुए इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि उनके गृह ग्राम बगिया में नवाचार के तहत सम्पर्क स्मार्ट स्कूल प्रारंभ किया गया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पहली से पांचवीं कक्षा तक बगिया प्राथमिक स्कूल में प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि 50 वर्ष पूर्व बगिया स्कूल खपरैल का होता था, जिसमें बरसात के दिनों में पानी टपकता था और पानी टपकने के कारण जगह बदलनी पड़ती थी। लेकिन आज 50 वर्षों बाद बगिया स्कूल का संपूर्ण कायाकल्प हो गया है और वर्तमान में यहाँ हाई स्कूल संचालित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि पहले जमाने में प्राथमिक स्कूल के बाद हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए भी लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी लेकिन वर्तमान में छत्तीसगढ़ में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज और राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा की सुविधाएं सुलभ हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र मूलमंत्र है जिससे व्यक्ति का समग्र विकास संभव है। शिक्षक हमारे राष्ट्र के निर्माता होते हैं, जो हमें अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, वैज्ञानिक और प्रोफेसर बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि सम्पर्क फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष श्री विनीत नायर एचसीएल टेक्नोलॉजिस के सीईओ रहे हैं। उन्होंने अपनी माता, जो सरकारी स्कूल में शिक्षिका थीं, से प्रेरणा लेकर सम्पर्क कार्यक्रम की शुरुआत की। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बच्चों के सीखने-सिखाने में बहुमूल्य योगदान दे रहा है। सम्पर्क फाउंडेशन खेल-खेल में शिक्षा को सरल बनाने के लिए सम्पर्क टीवी डिवाइस एवं गणित व अंग्रेज़ी किट प्रदान कर रहा है, जिनका वितरण आज हमारे जिले के 50 विद्यालयों में किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय ने मुझे पूरी उम्मीद है कि विद्यालयों में इन किटों का भरपूर उपयोग किया जाएगा। इससे न केवल बच्चों की झिझक दूर होगी बल्कि सीखने-सिखाने की प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी। अतः सभी प्रधान पाठक इन संसाधनों के उपयोग की पद्धति को भली-भांति समझें और बच्चों को आगे बढ़ने के अवसर दें।