'छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’ को विश्वभर के मंचों पर प्रचारित करने वाले हास्य. कवि डॉ सुरेंद्र दुबे का हार्ट अटैक से निधन
राज्यपाल रमेन डेका व मुख्यमंत्री साय ने पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे के निधन पर किया गहरा दुःख व्यक्त
रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा ही नहीं, बल्कि हर छत्तीसगढ़िया की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले पुरोधा हास्य कवि और राष्ट्रीय मंच संचालकों के पितामह पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे का गुरुवार को निधन हो गया। सबकी जुबां पर चढ़ी हुई पंक्ति ’छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’ को विश्वभर के मंचों पर प्रचारित करने वाले डॉ. दुबे ने रायपुर के एडवांस कॉर्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में अंतिम सांस ली।
दरअसल, सीने में दर्द की शिकायत के बाद 24 जून की रात उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। 25 जून को उनकी एंजियोप्लास्टी कर दो स्टेंट डाले गए थे। लेकिन हार्ट अटैक आने से उनका निधन हो गया। पद्मश्री डॉ. दुबे के निधन की सूचना पर देश-दुनिया की हस्तियों ने दु:ख जताया।
राज्यपाल रमेंन डेका, सीएम विष्णुदेव साय, पूर्व सीएम भूपेश बघेल व मंत्रियों सहित डॉ. कुमार विश्वास, शैलेष लोढा और काव्य जगत ने इसे अपूरणीय क्षति बताई है। वह पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को छत्तीसगढ़ में दुर्ग के बेमेतरा में हुआ था। उन्होंने कई किताबें भी लिखी। वह कई मंचों और टेलीविजन शो पर दिखाई देते रहे हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में, देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार भी प्राप्त किए थे। बेमेतरा में जन्मे डॉ. दुबे देश के एकमात्र हास्य-व्यंग्य कवि थे जिन्होंने सबसे ज्यादा बार ऐतिहासिक लाल किले और 25 से अधिक देशों में काव्य पाठ किया।
राज्यपाल रमेन डेका व मुख्यमंत्री साय ने पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे के निधन पर किया गहरा दुःख व्यक्त
राज्यपाल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि डॉ. दुबे ने अपनी व्यंग्यात्मक शैली, हास्यबोध और सामाजिक सरोकारों से भरी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी कविता जगत को समृद्ध किया। वे न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश में अपनी विशिष्ट शैली के लिए जाने जाते हैं। उनकी कविताओं ने समाज को स्वस्थ हास्य के साथ नई सोच की दिशा दी। राज्यपाल ने कहा कि डॉ. दुबे का निधन साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि अपने विलक्षण हास्य, तीक्ष्ण व्यंग्य और अनूठी रचनात्मकता के माध्यम से डॉ. दुबे ने न केवल देश-विदेश के मंचों को गौरवान्वित किया, बल्कि छत्तीसगढ़ी भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई। जीवनपर्यंत उन्होंने समाज को हँसी का उजास दिया, लेकिन आज उनका जाना हम सभी को गहरे शोक में डुबो गया है।
राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की और शोक संतप्त परिजनों एवं असंख्य प्रशंसकों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना की है।