छत्तीसगढ़ के आदिम जाति कल्याण विभाग रायगढ में चतुर्थ श्रेणी की भर्ती में बड़ा घोटाला आया सामने

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छत्तीसगढ़ के आदिम जाति कल्याण विभाग रायगढ में चतुर्थ श्रेणी की भर्ती में बड़ा घोटाला आया सामने

छत्तीसगढ़ के आदिम जाति कल्याण विभाग रायगढ में चतुर्थ श्रेणी की भर्ती में बड़ा घोटाला आया सामने 

गड़बड़ी ऐसी की 10 साल बाद 11 मृतकों को भी मिला प्रमोशन,



छत्तीसगढ़ के आदिम जाति कल्याण विभाग में चतुर्थ श्रेणी की भर्ती में बड़ा घोटाला सामने आया है। जब ऊपर तक शिकायत गई तो विभाग ने जांच कराई। जांच में कई गड़बड़ियां सामने आईं और फिर रायगढ़ के तत्कालीन सहायक आयुक्त अविनाश श्रीवास को निलंबित कर दिया। बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। हद तो तब हो गई, जब 10 साल बाद 11 मृतकों को प्रमोशन भी मिल गया। हालांकि इसी वर्ष 9 अप्रैल को मामला विधानसभा में उठा और दोबारा जांच के आदेश दिए गए।

छत्तीसगढ़ के आदिम जाति कल्याण विभाग में भर्ती हुई तो चतुर्थ श्रेणी की थी, पर घोटाला प्रथम श्रेणी का निकला है। अब जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्या मरे हुए ही अब सिस्टम के सबसे योग्य हैं?

वर्ष 2013 में आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास और आश्रम के लिए आकस्मिकता निधि से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती निकाली गई। इसके तहत पहले तीन साल तक इन लोगों को कलेक्टर दर पर वेतन दिया जाना था, बाद में उन्हें नियमित वेतन मिलता। 10 साल बाद इन लोगों को नियमित करने का नियम था।

रायगढ़ में 559 पदों पर भर्ती निकली, लेकिन यहां शुरू से बड़ा घोटाला कर दिया गया। तत्कालीन सहायक आयुक्त भूपेंद्र राजपूत ने 559 की जगह 605 लोगों की भर्ती कर डाली। नियमानुसार इन लोगों को 4943 रुपए मिलना था, लेकिन पहले दिन से ही इन्हें नियमित वेतन 10890 रुपए दिया जाने लगा।16 महीने बाद जब यह गड़बड़ी पकड़ी गई तब तक सरकार को 5.71 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका था।

मामले को दबाकर इन लोगों का वेतन कलेक्टर दर पर शुरू हो गया। 10 साल बाद जब इन्हें नियमित किया गया तो उसमें 11 मृतकों का भी नियमितीकरण हो गया। लेकिन इन्हें वेतन नहीं मिला। शिकायत के बाद जब इस मामले की जांच अपर संचालक एआर नवरंग ने की तो कई गड़बड़ियां और सामने आईं। बताया गया कि पदों की नियुक्तियों के दौरान गड़बड़ियां हुई हैं। उस दौरान जांच की गई। फिर रायगढ़ के तत्कालीन सहायक आयुक्त अविनाश श्रीवास को निलंबित कर दिया, फिर मामला शांत हो गया।

जांच रिपोर्ट भी विभाग में फाइलों के नीचे दबकर रह गईं। विधानसभा में मामला उठने के बाद 9 अप्रैल को दोबारा जांच के आदेश दिए गए। रिक्त भर्ती अनियमितता सामने आने के बाद भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गईं। भाजपा ने इसे मानवीय भूल बताया तो कांग्रेस ने भाजपा पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। जांच आदेश के बाद उसमें वित्त अधिकारी शामिल न कर इस मामले की लीपापोती करने की तैयारी अभी से हो गई है।

भाजपा-कांग्रेस ने क्या कहा?

कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने कहा, भाजपा की सरकार में भर्ती की प्रक्रिया हुई थी। उस दौरान गड़बड़ी की शिकायत हुई थी, आज वे शिकायत प्रमाणित हो गई है। बीजेपी का मूल काम लेन-देन करना है। हर विभाग में भर्ती होती है। केंद्र में सरकार में रहते जांच नहीं हो पाई। बीजेपी सरकार में सभी जगह ले-देकर भर्ती हो रही है। युवाओं को ठगना प्रमाणित हो गया है।

भाजपा प्रवक्ता राजीव चक्रवर्ती ने कहा, यह कोई भ्रष्टाचार नहीं है, ये मानवीय भूल है। सरकार के संज्ञान में आने का बाद अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। ना यह कोई षड्यंत्र है और ना एक घोटाला है।

गायब कर्मचारी नियमित: जांच में 29 ऐसे कर्मचारी भी पकड़ में आए जो कार्यालय आते ही नहीं। इसमें से कुछ तो दूसरी जगह नौकरी करने लगे हैं। इन लोगों को भी नियमित कर दिया गया। यही नहीं एक साल में 17 टुकड़ों में नियुक्ति आदेश जारी हुए। पहला 2013 में 13 जून को 14, 24 जुलाई को 459, 5 अगस्त को 42 करते-करते 24 जून 2024 को अंतिम 5 लोगों का आदेश जारी हुआ।

फर्जी मार्कशीट पर लगा दी 20 लोगों की नौकरी

2021 में कलेक्टर के पास शिकायत हुई कि फर्जी मार्कशीट पर लोग नौकरी कर रहे हैं। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी की टीम से जांच करवाई। इसमें मार्कशीटों का मिलान जब सरकारी रिकॉर्ड से किया गया तो 20 लोगों की मार्कशीट फर्जी पाई गई।

इन मार्कशीटों में काटछांट और छेड़छाड़ की गई थी। 13 मार्कशीटों में तो रोल नंबर तक नहीं थे। इसमें से 10 लोगों को नियमित भी कर दिया गया है। यह भी सामने आया कि भर्ती के समय ही इसकी शिकायत हुई थी। पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज की थी, बावजूद इन लोगों की मार्कशीट बिना जांचे नौकरी दे दी गई।

मृतकों के नाम:-

फुलकुमारी — निधन: 22 मई 2021

गणेश राम — निधन: 18 नवम्बर 2016

परखित कुमार — निधन: 11 सितम्बर 2017

चम्पा चौहान — निधन: 2 दिसम्बर 2018

राकेश सिदार — निधन: मई 2019

गुलाब बंजारे — निधन: 19 अप्रैल 2021

अजीत टोप्पो — निधन: 5 जुलाई 2017

सीताराम राठिया — निधन: 17 फरवरी 2020

रेखा सिदार — निधन: 7 फरवरी 2021

जितेंद्र सिदार — निधन: 7 अक्टूबर 2020

दयाराम — निधन: 7 जुलाई 2018


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