प्रदेश में पाकिस्तान आधारित ISIS माड्यूल के राजफाश होने के बाद जांच एजेंसियां पूरी तरह सक्रिय, 2 नाबालिग गिरफ्तार
नाबालिगों को हिंसा का ग्लैमर दिखाकर किया जा रहा ब्रेनवॉश, दी जा रही आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की ट्रेनिंग
5-10 वर्षों में भारत पर कर लिया जाएगा कब्जा, उसके बाद चीन पर नियंत्रण करने का ‘मिशन’
रायपुर। प्रदेश में पाकिस्तान आधारित आईएसआईएस माड्यूल के राजफाश होने के बाद जांच एजेंसियां पूरी तरह सक्रिय हो गई हैं। एटीएस की टीम शनिवार को माना बाल संप्रेक्षण गृह पहुंची, जहां गिरफ्तार दोनों नाबालिगों से लगातार गहन पूछताछ की। दोनों ही 10वीं-11वीं क्लास के स्टूडेंट हैं। नाबालिगों को हिंसा का ग्लैमर दिखाकर ब्रेनवॉश किया जा रहा था।
बीते कुछ दिन से फरीदाबाद मॉड्यूल, दिल्ली ब्लास्ट और नौगाम ब्लास्ट के बाद देश में डर का माहौल है। सुरक्षा एजेंसियां देश में बिछे आतंक के जाल से रोज पर्दा उठा रहीं हैं। वहीं, अब छत्तीसगढ़ ATS ने भी रायपुर से दो नाबालिगों को गिरफ्तार किया है। दोनों पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) से जुड़े होने का आरोप है।
छत्तीसगढ़ ATS ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि दोनों नाबालिग ISIS के लिए काम कर रहे थे। ATS के अनुसार, ISIS ने सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट के जरिए दोनों नाबालिगों को ब्रेन वॉश किया और उन्हें देश में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की ट्रेनिंग दी जा रही थी।
ATS ने जब चैट, लॉग और कंटेंट की परतें खोलनी शुरू कीं, तब तस्वीर और डरावनी निकली। गेमिंग चैट से लेकर इंस्टाग्राम के सीक्रेट ग्रुप तक, नाबालिगों को 'डिजिटल मॉड्यूल' में शामिल करने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही थी। इनमें डार्क वेब, TOR, फर्जी IP, VPN–हर वो तकनीकी हथियार सिखाए जा रहे थे, जो आतंकियों को अपनी डिजिटल पहचान छिपाने में मदद करता है। सबसे खतरनाक मोड़ तब आया, जब हैंडलर्स ने इन नाबालिगों से 'ऑपरेशन सिंदूर' से जुड़े मैप की क्लिपिंग मांगी। दोनों ने वह भेज भी दी। नाबालिग हथियार उठाने तक को तैयार थे।
ATS की ह्यूमन-सर्विलांस और साइबर ट्रैकिंग ने इस नेटवर्क की परतें खोलीं। ATS ने मामले में UAPA-1967 के तहत FIR दर्ज की है। दोनों नाबालिग ATS के कब्जे में हैं। इनमें एक के पिता CRPF जवान हैं, जबकि दूसरे के पिता ऑटो चलाते हैं। वहीं भिलाई के 4 नाबालिगों से पूछताछ भी की जा रही है।
साइबर टीम ने जब चैट, ग्रुप लिंक और कंटेंट को खंगाला, तब पता चला कि 2 भारतीय नाबालिग लगातार उसी प्रतिबंधित ग्रुप में एक्टिव हैं, जहां पाकिस्तानी हैंडलर्स कट्टरपंथी कंटेंट डाल रहे थे। ATS ने तब रायपुर और भिलाई से पकड़े गए 2 नाबालिगों को लगभग डेढ़ साल तक ह्यूमन सर्विलांस और साइबर ट्रैकिंग के जरिए चुपचाप मॉनिटर किया।
जांच में यह भी सामने आया कि पाकिस्तानी हैंडलर्स सोशल मीडिया पर एक ही ग्रुप को लंबे समय तक एक्टिव नहीं रखते थे। जैसे ही किसी ग्रुप पर ज्यादा ट्रैफिक बढ़ता या सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी की आशंका होती, वे उस ग्रुप को बंद कर देते थे।
इस जल्दबाजी में ग्रुप को बंद करने से पता चला कि हैंडलर्स भारतीय डिजिटल निगरानी तंत्र को लेकर लगातार सतर्क थे। कई नाबालिगों के बयान में भी यह बात सामने आई कि उन्हें बिना कोई कारण बताए अचानक नोटिफिकेशन मिलते थे कि ‘ये ग्रुप archived हो गया है, या ग्रुप अब उपलब्ध नहीं है।
पाकिस्तान-आधारित ISIS मॉड्यूल सोशल मीडिया पर ऐसे यूजर्स को टारगेट करता है, जिनका डिजिटल बिहेवियर वायलेंस, धार्मिक बहस या आक्रामक कंटेंट की ओर झुकाव दिखाता है। इंस्टाग्राम का ऐल्गोरिद्म खुद ऐसे यूजर्स को हिंसा, हथियार, धार्मिक विवाद और “कनफ्लिक्ट-बेस्ड” वीडियो सजेस्ट करता है।
एक नाबालिग गेमिंग ग्रुप में ज्यादा एक्टिव था, दूसरा इंस्टाग्राम पर धार्मिक बहस और आक्रामक वीडियोज देखता था। दोनों को पहले हल्के धार्मिक और मोटिवेशनल कंटेंट भेजे गए, फिर धीरे-धीरे हिंसक वीडियो, कट्टरपंथी मैसेज और जिहादी ऑडियो क्लिप्स तक ले जाया गया।
बातचीत बढ़ते ही हैंडलर्स ने इन्हें अलग-अलग ग्रुप में शिफ्ट किया, नए फेक अकाउंट्स से जोड़ते रहे और लगातार ऐसे कंटेंट दिखाते रहे, जिससे वे मानसिक रूप से ब्रेनवॉश होकर किसी भी निर्देश का पालन करने को तैयार हो जाएं।
नाबालिगों की चैट हिस्ट्री की जांच में पता चला कि पाकिस्तानी हैंडलर उन्हें लगातार छोटे-छोटे टास्क दे रहे थे। इनमें सोशल मीडिया पर एक नया ग्रुप बनाना। वीडियो और फाइलें शेयर करना। अन्य यूजर्स को जोड़ने का टास्क भी शामिल है।
दोनों किशोरों को संप्रेक्षण गृह के एक अलग सुरक्षित कक्ष में रखा गया है, जिसकी निगरानी उच्च स्तरीय सुरक्षा में की जा रही है। आस-पास किसी भी बाहरी व्यक्ति की आवाजाही पर सख्त प्रतिबंध है। केवल संप्रेक्षण गृह प्रभारी और चिह्नित प्रहरी ही उस कमरे तक पहुंच सकते हैं।
जांच में सामने आया है कि पाकिस्तानी आतंकी समूह बच्चों के दिमाग में झूठी कहानियां भर रहा था। उन्हें विश्वास दिलाया गया कि 5-10 वर्षों में भारत पर कब्जा कर लिया जाएगा और उसके बाद चीन पर नियंत्रण करने का ‘मिशन’ चलेगा। इस तरह के भ्रम फैलाकर हैंडलरों ने बच्चों को पूरी तरह अपने प्रभाव में ले लिया था। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी हैंडलरों ने किशोरों को योजनाबद्ध तरीके से अपनी कट्टर विचारधारा में ढाल लिया था और उन्हें धर्म के नाम पर जेहाद के लिए उकसाया गया।
पूछताछ के दौरान एटीएस को कई तथ्य मिले हैं, जिन्हें एनआईए के साथ साझा किया जा रहा है। एनआईए इन तथ्यों का अलग एंगल से विश्लेषण कर रही है। अगर नेटवर्क के बड़े तार सामने आते हैं, तो राष्ट्रीय जांच एजेंसी आगे स्वतंत्र जांच प्रारंभ कर सकती है। फिलहाल एटीएस यह पता लगाने में जुटी है कि दोनों किशोरों के संपर्क में प्रदेश के कितने अन्य युवा थे और किस तरह पाक हैंडलरों के निर्देश पर नाबालिग अन्य बच्चों को प्रभावित कर रहे थे।
राज्य में हिंसा फैलाने की साजिश, बड़े रोल की तैयारी
सूत्रों के अनुसार पाक हैंडलरों ने दोनों किशोरों को बेहद योजनाबद्ध तरीके से अपनी विचारधारा में ढाल लिया था। उन्हें धर्म के नाम पर भड़काकर सामाजिक तंत्र से पूरी तरह अलग कर दिया गया। हैंडलर उन्हें लगातार ऐसे युवाओं का नेटवर्क बढ़ाने कहते थे जो उनके कट्टर विचारों से प्रभावित हो सकते थे। राजफाश हुआ है कि बच्चों को राज्य में किसी बड़ी आतंकी गतिविधि की जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी थी, लेकिन उससे पहले ही एटीएस ने उन्हें पकड़कर इस साजिश को नाकाम कर दिया।
कई और स्लीपर सेल की आशंका
एटीएस को संदेह है कि जिस तरह रायपुर और भिलाई के दो किशोरों को टारगेट किया गया, उसी प्रकार प्रदेश में और भी नाबालिगों को प्रभावित करने की कोशिश की गई हो सकती है। इसी वजह से एजेंसी ने 10 हजार से अधिक इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स की निगरानी शुरू कर दी है। जिन अकाउंट्स पर अधिक संदेह है उनकी मैन्युअल मानिटरिंग भी की जा रही है।
इंस्टाग्राम पर नजर, साइबर सेल भी सक्रिय
किशोरों के आतंकी नेटवर्क से जुड़े होने के बाद साइबर सेल ने इंटरनेट मीडिया की सर्विलांस और कड़ी कर दी है। संदिग्ध अकाउंट्स के आइपी एड्रेस ट्रैक किए जा रहे हैं और उनके विदेशी कनेक्शन की जांच की जा रही है। जांच में इंस्टाग्राम सबसे अधिक संदिग्ध प्लेटफार्म के रूप में सामने आया है, इसलिए इस पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।
एटीएम ने परिजन को दिखाए बातचीत के सबूत
एटीएस ने दोनों बच्चों की चैट, ग्रुप स्क्रीनशाट, फर्जी आईडी, हिंसक कंटेंट और हैंडलर्स के साथ हुई बातचीत के सबूत परिवारों को दिखाए हैं। परिजन ने अधिकारियों से कहा कि उन्हें अंदाजा तक नहीं था कि उनके बच्चे फोन में किस तरह की दुनिया में फंस चुके हैं।
एटीएस के अधिकारियों ने बताया कि दोनों नाबालिग हैं, इसलिए पूरी जांच जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के नियमों के मुताबिक चल रही है। पूछताछ भी परिवार की मौजूदगी में ही की जा रही है, ताकि किसी तरह का मानसिक दबाव न बने। इसके साथ ही दोनों को साइकोलाजिकल काउंसलिंग भी दी जा रही है, ताकि वे इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सही स्थिति में रहें। परिजन ने जांच में पूरा सहयोग देने की बात कही है।
छत्तीसगढ़ ATS ने दोनों नाबालिगों को लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। उनके खिलाफ विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1967 के तहत मामला दर्ज किया गया है। ATS को शक है कि ISIS छत्तीसगढ़ में मॉड्यूल तैयार करने की कोशिश कर रहा है। नाबालिगों से जुड़े लोगों की भी तलाश की जा रही है।
ATS एसपी राजश्री मिश्रा ने बताया कि कंटेंट का पैटर्न इस तरह रखा जाता था कि किशोरों में सिस्टम, समाज और दूसरे समुदाय के प्रति नफरत गहराती जाए। कई बार हैंडलर उनकी तारीफ करते कि तुम असली मुजाहिद हो, सच्चे जांबाज हो ताकि उनका झुकाव पूरी तरह उनकी तरफ हो जाए।
इस तरह लगातार मिल रही डिजिटल फीड ने दोनों किशोरों को धीरे-धीरे आम स्टूडेंट से ऐसी सोच की तरफ धकेल दिया, जहां हिंसा उन्हें सही और जिहादी आइडियोलॉजी उन्हें जायज लगने लगी। यही था इस पूरे साइकोलॉजिकल ब्रेनवॉश का असली मकसद।
ATS एसपी राजश्री मिश्रा ने बताया कि पाकिस्तानी हैंडलर्स सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं थे, बल्कि गेमिंग चैट के जरिए भी कई नाबालिगों तक पहुंचते हैं। कई ऑनलाइन शूटिंग और मिशन-बेस्ड गेम्स में ‘प्राइवेट चैट रूम’ होते हैं, जहां खिलाड़ियों के बीच टेक्स्ट, वॉयस और ग्रुप चैट आसानी से की जा सकती है।
हैंडलर्स ने इसी सुविधा का फायदा उठाया और गेम खेलते समय नाबालिगों को अपनी ओर आकर्षित किया। गेम का माहौल पहले से ही लड़ाई, हथियार और सैन्य मिशन जैसा होता है, इसलिए हिंसा से जुड़ी बातें खिलाड़ियों को ज्यादा नॉर्मल लगती हैं।
प्रारंभिक जांच में यह पुष्टि हुई है कि इन किशोरों ने राज्य के विभिन्न शहरों के 100 से अधिक किशोरों और युवाओं को जेहादी नेटवर्क से जोड़ा था।






